मेरा देश है भारत
भरत जिसके नरेश
मेरा देश।
भिन्न-भिन्न लोग इसे
भिन्न-भिन्न नाम से पुकारे
कोई कहे हिन्दुस्तान
कोई आर्यावर्त
कोई जम्बूदीप
कोई इंडिया पुकारे।
मेरा देश है भारत
भरत जिसके नरेश
मेरा देश।
सुनहड़ी इसकी गाथा
ज्ञान विज्ञान का यह ज्ञाता
धर्म में यहाँ की पताका फहराता
शांति दूत यह कहलाता।
मेरा देश है भारत
भरत जिसके नरेश
मेरा देश।
धरती का स्वर्ग है यहाँ
ऋर्षि-मुन्नी जन्मे जहाँ,
देवी-देवता जहाँ चाहे जन्म
जहाँ प्रधान है कर्म।
मेरा देश है भारत
भरत जिसके नरेश
मेरा देश।
जहाँ की मिट्टी है सोना
जहाँ प्रचलित है जादू टोना
जहाँ भेष-भूषा और भाषा है अनेक
जहाँ के लोग है नेक।
मेरा देश है भारत
भरत जिसके नरेश
मेरा देश।
जिसने दुनियाँ को गणना सिखाया
ज्योतिष और खगोल शास्त्र पढ़ाया
दुनियाँ को शान्ति सन्देश सुनाया
योग्यता से वह विश्व गुरु कहलाया।
मेरा देश है भारत
भरत जिसके नरेश
मेरा देश।
चिकित्सा में आयुर्वेद महान
जो करे जगत कल्याण
जिसका धर्म और भाषा सबसे प्राचीन
हर सभ्यता में जिसका चिन्ह।
मेरा देश है भारत
भरत जिसके नरेश
मेरा देश।
जहाँ चन्द्रगुप्त और अशोक महान
जहाँ पंचतंत्र चाणक्य विदुर की नीति
जहाँ गीता का ज्ञान।
जहाँ वेद रामायण महाभारत जैसे माहाकाब्य
जहाँ कालिदास जैसे नाट्यकार।
मेरा देश है भारत
भरत जिसके नरेश
मेरा देश।
जहाँ रबीन्द्रनाथ बंकिमचन्द्र
प्रेमचन्द्र जैसे रचनाकार
जहाँ पंत भरततेन्दू हरिचन्द
जहाँ पन्ना जौसा आया
जिसकी कथा सुन फट जाए काया।
मेरा देश है भारत
भरत जिसके नरेश
मेरा देश।
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